Sunday 3 March 2019

आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी को कैसे समझा जा सकता है?

सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि Theory of relativity के दो भाग हैं।

1- Special theory of relativity ( सापेक्षता का विशिष्ट सिद्धांत)

2- General theory of relativity ( सापेक्षता का सामान्य सिद्धान्त)

इन सिद्धांतों को समझने से पहले हमें यह समझना होगा कि सापेक्षता शब्द का अर्थ क्या है..

मान लीजिए कि तीन लोग A, B और C हैं। A और B एक ट्रेन पर सवार हैं, और C बाहर खड़ा है। A और B एक दूसरे को रुका हुआ देखेंगे और C उन दोनों को चलता हुआ। और A और B, C को ट्रेन की विपरीत दिशा में चलता हुआ देखेंगे।

यही सापेक्षता का मतलब है कि अलग अलग प्रेक्षक किसी घटना को अलग अलग तरह से वर्णित करते हैं और वे सभी अपने अपने point of view में सही होते हैं।

सर न्यूटन का मानना था कि अलग अलग प्रेक्षक किसी घटना को अलग अलग तरह से देखेंगे, परन्तु घटना के समय के वर्णन में वे दोनों एक मत ही होंगे।

सापेक्षता के विशिष्ट सिद्धांत की खोज :-

अब…सन् 1900 में michalson और morley नामक वैज्ञानिकों ने यह देखा कि प्रकाश की गति पृथ्वी की गति के कारण प्रभावित नहीं होती है, जबकि अब तक की Physics के अनुसार ऐसा होना चाहिए था। आप michalson morley experiment के बारे में यहाँ से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं -
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E...

तब आइन्सटाइन ने 1905 में अपना विशिष्ट सापेक्षता का सिद्धांत प्रतिपादित किया, जिसके अनुसार,

*भौतिकी के नियम हर जड़त्वीय निर्देश तंत्र में एक ही होते है।

*और प्रकाश की चाल निर्देश तंत्र पर निर्भर नहीं करती।

इस नियम के कारण हमें यह पता चला कि अलग अलग observers के लिए गति के साथ साथ समय की चाल भी अलग अलग होती है।इसी लिए प्रकाश की चाल हर observer के लिए समान ही होती है। अर्थात यदि आप तेज़ गति से चलें, तो आपके लिए समय की गति धीमी होगी और आपकी लंबाई गति की दिशा में कम हो जाएगी तथा आपका द्रव्यमान बढ़ जाएगा।

साथ ही साथ अलग अलग observers किसी घटना के समय के साथ किसी पदार्थो का द्रव्यमान और लंबाई भी अलग अलग नापते हैं।

इस सिद्धांत नें सर न्यूटन की यांत्रिकी को गलत साबित कर दिया।

इस सिद्धांत नें यह भी बताया कि ऊर्जा और द्रव्यमान को आपस में बदला जा सकता है।और यह ऊर्जा mc^2 के बराबर होती है, जहां m पदार्थ का द्रव्यमान और c प्रकाश की चाल (3×10^8 meter/sec) है।

हाँलाकि यह प्रभाव हम बहुत हाई स्पीड (जो प्रकाश की चाल से तुलना करने योग्य हो) पर ही देख सकते हैं।

चूंकि यह सिद्धांत उन ही ऑब्जेक्ट्स पर लागू होता है, जिनका वेग नियत होता है, इसलिए इस सिद्धांत को सापेक्षता का विशिष्ट सिद्धांत कहते हैं।

आप इस विडियो के द्वारा भी इस बात को समझ सकते हैं। https://www.google.co.in/url?sa=...

इस सिद्धांत ने एक दृष्टांत को जन्म दिया, जिसे twin paradox कहते हैं। माना दो जुड़वा भाई हैं, एक भाई बहुत तेज़ गति से अंतरिक्ष में जाता है और कुछ सालों बाद वापस आता है, तो जो भाई रुका हुआ था वो बूढ़ा हो चुका होगा और जो भाई चल रहा था, उसकी उम्र कम होगी, क्योंकि वह तेज़ गति से चल रहा था, तो उसके लिए समय की गति धीमी थी।

सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत की खोज :-

सापेक्षता के विशिष्ट सिद्धांत ने michalson - morley के प्रयोग की व्याख्या कर दी और अभूतपूर्व रूप से सफल हुआ। परन्तु आइन्सटाइन हमेशा सोचते थे कि यदि कोई ऑब्जेक्ट त्वरित है, अर्थात उसका वेग समय के साथ परिवर्तित हो रहा है, तो उसकी गति को कैसे व्याख्यायित करेंगे। इस सोच के कारण लगभग 1915–16 के आस पास, आइन्सटाइन ने सापेक्षता के सामान्य सिद्धान्त की खोज की।

आइन्सटाइन ने बताया कि त्वरण ही वह कारण है, जो गुरुत्वाकर्षण उत्पन्न करता है।

आइए एक चीज़ सोचते हैं.. मान लीजिए कि आप एक लिफ़्ट में हैं। अचानक से लिफ़्ट मुक्त रूप से गिरने लगती है, तो गिरते वक्त आप भार हीन महसूस करेंगे और आपको किसी भी गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव नहीं होगा और आप की स्थिति वैसी ही होगी, जैसी कि मुक्त अन्तरिक्ष में होती, जबकि आप पृथ्वी के गुरुत्व क्षेत्र में हैं


चलिए आप अब अपनी लिफ़्ट लेकर अंतरिक्ष मे चलिए, अब यदि अचानक से आपका आपकी लिफ़्ट का वेग ऊपर की ओर बढ़ाना प्रारंभ कर दिया जाए, तो आप को लगेगा कि आप नीचे की ओर खींचे जा रहे हैं और आपकी वैसी ही स्थिति होगी, जैसी किसी गुरुत्व क्षेत्र में होती, जबकि आप किसी भी गुरुत्व क्षेत्र में नहीं हैं।

तो आइन्सटाइन सोचते थे कि कहीं, गुरुत्वाकर्षण एक भ्रम तो नहीं है?

इसे समझाने के लिए आइन्सटाइन ने सापेक्षता का सामान्य सिद्धांत प्रतिपादित किया।

इसमें आइन्सटाइन ने बताया कि स्पेस और समय अलग नहीं हैं बल्कि जुड़े हुए हैं। इसे सम्मिलित रूप से उन्होने स्पेस टाइम कहा, जो चार विमीय (four dimensional) होता है।

उन्होने कहा कि space time पदार्थो के द्रव्यमान से प्रभावित होता है और bend हो जाता है।

जब मुड़े हुए space time में कोई ऑब्जेक्ट गति करता है तो उसमे त्वरण (acceleration) आ जाता है, जो उसे दीर्घ वृत्ताकार मार्ग में घुमाने का कार्य करता है और यही प्रभाव गुरुत्वाकर्षण उत्पन्न करता है।


चूँकि space और टाइम जुड़े हुए हैं, तो space के साथ साथ समय भी bend हो जाता है। सरल भाषा में कहें तो जितना ज़्यादा गुरुत्वाकर्षण, समय की चाल उतनी ही कम।

आइन्सटाइन के ये सिद्धान्त समझने में बहुत ही ज़्यादा कठिन हैं, पर ये अनेकों बार टेस्ट किए जा चुके हैं और अन्तरिक्ष के अध्ययन में बहुत उपयोगी हैं।

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