चलिए पहले यह देखते हैं की आकाशीय बिजली कैसे काम करती है।
जब आंधी या तूफ़ान आता है तो हवा के बहाव के कारण बादलों में सकारात्मक (positive) और नकारात्मक (negative) चार्ज अलग हो जाते हैं।
नेगेटिव चार्ज बादल के नीचे वाले हिस्से में होता है और पॉजिटिव चार्ज इसके ऊपर वाले हिस्से में।
ठीक ऐसे जैसे की दिखाया गया है :
जब ऐसा हो रहा है ठीक उसी समय आंधी के नीचे जमीन पर पॉजिटिव चार्ज बनने शुरू हो जाते हैं।
जैसा की हमको मालूम है की एक ही तरह के चार्ज एक दूसरे से दूर जाते हैं और बिपरीत चार्ज एक दूसरे के समीप आते हैं , नेगेटिव वाले चार्ज बादल के नीचे फैलना शुरू कर देते हैं और नीचे से पॉजिटिव चार्ज जमीन के ऊपर फैलना शुरू कर देते हैं।
तो चीज ऊंचाई पर होती है जैसे की बिल्डिंग या पेड़ तो उसपर पॉजिटिव चार्ज रहते हैं और वह बादल के नजदीक होता है।
जब पॉजिटिव और नेगेटिव चार्ज एक दूसरे से मिलते हैं तो नेगेटिव चार्ज डिस्चार्ज होकर धरती में आते हैं जिसको आप आकाशीय बिजली के नाम से जानते हैं।
जो चीज़ सब अधिक उचाई पर होती है उसमे डिस्चार्ज होने की सबसे ज्यादा वजह होती है।
जैसे की यह टावर जिसमे पॉजिटिव चार्ज है और बादल में नेगेटिव।
९५% आकाशीय बिजली में यही होता है लेकिन ५% में पॉजिटिव चार्ज, नेगेटिव चार्ज में डिस्चार्ज होता है।
चूँकि पेड़ जमीन से ऊपर होते हैं इसीलिए उसमे डिस्चार्ज होने की संभावना अधिक होती है।
यही वजह है।
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