इस प्रश्न का उत्तर थोड़ा tricky है। आप मुझे कहेंगे ऐसा कैसे हो सकता है, पर आपको पृथ्वी का घूर्णन जानने के लिए महसूस करने का तरीका बदलना पड़ेगा।
किसी भी linear गति को महसूस करना संभव नही है अगर उसमे त्वरण (accleration) और मंदन (retardation) ना हो तो।
आप जब इस इस उत्तर को पढ़ रहे हैं तब आप लगभग 1600 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ़्तार से घूम रहे है।
पर इस बात का आपको अंदाजा नही है, आप इसे अनुभव नही कर पाते है। ऐसा इसलिए है कि आप जन्म से इसी गति से घूम रहे हैं। पृथ्वी की घुर्णन गति स्थिर है और हमेशा एक समान रहती है। हम 1G गुरत्व के आदि हो गए हैं। अगर इस G का मान ज़रा सा भी घटता बढ़ता है तो हमे वो बल महसूस होता है।
मानिये किसी किसी दिन पृथ्वी की गति बढ़ती है या घटती है उस दिन आपको इसका त्वरण अथवा मंदन एक पीछे या आगे धकेलने वाले बल जैसा महसूस होगा।
इस इस तरह समझिये जैसे कि कार की गति बढ़ती है तो आपको एक पीछे खींचता हुआ बल महसूस होता है और गति कम होने पर आप आगे की ओर झुकते हैं।
दूसरा तरीका है कि आप आस पास की चीज़ों को गुज़रते हुए देखें। अब यहाँ पृथ्वी पर मौजूद सभी वस्तुएं भी आपकी गति से ही घूम रही है तो इसका पता आपको खगोलीय पिंडों को पीछे जाते देख पता चलेगा।
रात में अगर आप ऊंचे पेड़ोंं की पत्तियों के बीच से किसी टिमटिमाते तारे को देखें, तब पता चलेगा वो तारा आपको थोड़ी देर बाद बदलता नज़र आएगा। यह एक तरीका हुआ।
दिन में छाया का बड़े से छोटा और शाम तक छोटे से पुनः बड़ा होना भी एक प्रमाण है।
व्यक्ति/जीव के आकार से फर्क नही पड़ना चाहिए, पर यदि गति में बदलाव आया तो आप इसे तुरंत महसूस करेंगे।
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