ऐसा तीन वजहों से होता है ।
- तापमान
- घनत्व
- गुरुत्वाकर्षण बल
अग्नि की ज्वाला गैसों का मिश्रण है जो कि अत्यधिक गर्म होने के कारण दृश्यमान है , जैसे लोहा गर्म होने पर दृश्यमान होता है ।
अगर पानी में आप लकड़ी या प्लास्टिक डाल दे तो वह उत्प्लावन बल के प्रभाव से तैरेगी अर्थात पानी के ऊपर रहेगी क्योंकि उसका घनत्व पानी के घनत्व से कम है और वह अपने वजन के बराबर पानी हटा देती है।वही पत्थर डूब जाता है क्योंकि उसका घनत्व पानी से ज्यादा होता है और वह अपने वजन के बराबर पानी नही हटा पाता ।
यही उत्प्लावन बल का सिद्धांत अग्नि की ज्वाला पर भी काम करता है । अग्नि की ज्वाला के आस पास की गैसें गर्म होती है और हम सब जानते हैं कि गर्म गैसें हवा से हल्की होती है अर्थात उनका घनत्व हवा के घनत्व से कम होता है ।
( क्योंकि जब हवा गर्म होती है तब उनके अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है और उस वजह से उनके अणु दूर दूर हो जाते हैं इसलिए उनका घनत्व कम हो जाता है)
ये गैसें अपने स्वभाववश ऊपर उठती हैं और जब ज्वाला के आस पास की गैसें ऊपर उठती हैं तो अग्नि की ज्वाला भी ऊपर की ओर उठ जाती है । जब ज्वाला के पास की गैसें ऊपर चली जाती हैं तो गुरुत्वाकर्षण के कारण आस पड़ोस की ठंडी गैसें उस खाली जगह को भरने के लिए तेज़ी से आती हैं और इससे ज्वाला पतली और ऊपर की और तेजी से जलती है ।
आपको जानकर हैरानी होगी कि यदि नगण्य गुरुत्वाकर्षण में ज्वाला का अवलोकन किया जाए तो वह एक गोलक के रूप में होती हैं
जैसा कि चित्र में आप देख रहे हैं , ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वहां घनत्व का सिद्धांत काम नही करता और ज्वाला पर उत्प्लावन बल नही लगता।
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