जवाब है नही। इसे दो बिंदुओं में समझते है,
(अ) अगर हायड्रोजन और हिलियम वहाँ उपस्थित है तो क्यों नही जलेगा - बृहस्पति ग्रह के वातावरण में 90 % हायड्रोजन, 9 % हिलियम और बाकी 1 % के अंदर अमोनिया, पानी और बाकी गैस आती है। किसी भी चीज के ज्वलन के लिए जलने वाले पदार्थ (हायड्रोजन), ऊष्मा (माचिस) तथा ऑक्सिजन की जरूरत होती है। वहाँ ऑक्सिजन की मात्रा बहुत कम है। इसके अलावा ज्यादातर हायड्रोजन तरल रूप में पाई जाती है। जिससे ज्वलन प्रकिया पूरी नही हो सकती।
(ब) फिर बृहस्पति ग्रह सूर्य की तरह नाभिकीय सलयन क्यों नही करता - ये तर्क बहुत सही है कि अगर बृहस्पति ग्रह पर सूर्य की तरह ही हायड्रोजन और हिलियम है तो फिर वो सूर्य की ही तरह नाभिकीय सलयन करके क्यों नही जल जाता। इसकी वजह है द्रव्यमान। सूर्य का एक द्रब्यमान बृहस्पति से 1000 गुना ज्यादा है। वही आकर में केवल 10 गुने का अंतर है। इस कारण सूर्य काफी ज्यादा ऊर्जा बना सकता है नाभिकीय सलयन शुरू करने के लिए। वही बृहस्पति ग्रह इतनी ऊर्जा नही बना सकता। यही अंतर होता है एक ग्रह और एक तारे में।
No comments:
Post a Comment